12 जून 2025, अहमदाबाद एयरपोर्ट। एक दिन जो भारतीय एविएशन इतिहास में हमेशा काले अक्षरों में लिखा जाएगा। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-221, एक Boeing 787 Dreamliner, टेकऑफ़ के दौरान क्रैश हो गई। हादसे में 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई। सवाल उठे, आंखें फटी की फटी रह गईं, और एक बार फिर बोइंग की सुरक्षा पर उंगलियां उठीं।
ये बिलकुल भी आश्चर्य की बात नहीं थी. इस फ्लाइट को लेकर जितनी शिकायतें मिली हैं, उससे पता चलता है कि बोइंग और एयर इंडिया जैसी कंपनियां कितनी लापरवाह हैं. विमान को उड़ान भरने से पहले कई तरह की जांच से गुजरना पड़ता है. ये विमान सिर्फ 1 मिनट में क्रैश हो गया. इसका मतलब है कि इसमें बहुत बड़ी लापरवाही हुई है. इतना पैसा चार्ज करने के बावजूद भी इस फ्लाइट को लेकर कई शिकायतें आई हैं. इन लापरवाह कंपनियों पर कार्रवाई होनी चाहिए जो मासूम लोगों की मौत की जिम्मेदार हैं. भाइयों उनसे अपना हक मांगो. सिर्फ विमान में ही नहीं बल्कि ट्रेन, बस और हर क्षेत्र में पूरी सुरक्षा होनी चाहिए. अगर आप इतना टैक्स लेते हैं तो इसका इस्तेमाल जनता के लिए होना चाहिए. अगर इस विमान में कोई बड़ी खराबी नहीं होती तो पायलट को इन लोगों की जान बचाने का समय मिल जाता
सबसे सुरक्षित विमान अब सबसे खतरनाक?
Boeing 787 को दुनिया के सबसे सुरक्षित विमानों में गिना जाता है। लेकिन यह हादसा साबित करता है कि तकनीकी विश्वसनीयता अब सिर्फ एक दावा रह गया है। बोइंग के इतिहास को उठाकर देखें, तो यह हादसा कोई अपवाद नहीं बल्कि एक पैटर्न है।
तकनीकी खामियां और बार-बार के हादसे
Boeing 737 Max हो या 787 Dreamliner
— दोनों में वर्षो
से सॉफ़्टवेयर, बैटरी, इंजन और कॉकपिट सीट जैसी समस्याएँ सामने आई हैं।
इस बार की दुर्घटना में लैंडिंग गियर और फ्लैप्स की गलत सेटिंग की आशंका जताई गई है।
2017-2023 के बीच, दुनिया में हुए 813 बड़े विमान हादसों में बोइंग की भारी हिस्सेदारी रही है।
चीन, यूरोप, कनाडा, इंडोनेशिया और सिंगापुर जैसे देशों ने Boeing 737
Max को अपने
एयरस्पेस में बैन किया।
भारत में आज भी ऐसे कई Boeing विमान उड़ रहे हैं जो 15 से 25 साल पुराने हैं, जबकि दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल कारें तक बैन हैं!
Indigo के कुछ A320 विमान 17+ साल पुराने हैं।
SpiceJet के 30% विमान 10 साल से ज्यादा पुराने हैं।
विमानों की अधिकतम उम्र तय होनी चाहिए, ठीक कारों की तरह।
पुराने विदेशी विमानों पर निर्भरता कम करके भारत को अपने स्वदेशी एयरक्राफ्ट प्रोग्राम्स जैसे HAL में निवेश करना चाहिए।
पब्लिक डोमेन में तकनीकी निरीक्षण रिपोर्ट्स शेयर होनी चाहिए ताकि यात्रियों को जानकारी रहे कि वो जिस विमान में बैठ रहे हैं, वो कितने साल पुराना और कितना सुरक्षित है।
क्रिमिनल कवर-अप और व्हिसलब्लोअर की मौतें
दो इंजीनियर्स — सैम और जॉन बार्नेट, जिन्होंने Boeing 787 की तकनीकी खामियों का खुलासा किया था, आज इस दुनिया में नहीं हैं। संदेह गहराता है। FAA (अमेरिकी एविएशन रेगुलेटर) ने भी बोइंग पर रिकॉर्ड में हेराफेरी और निरीक्षण में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं।
दुनिया बोइंग से दूर क्यों जा रही है?
कारों पर बैन, लेकिन विमानों पर क्यों नहीं?
दिल्ली-NCR में 10 साल पुरानी डीजल कार पर सुप्रीम कोर्ट का बैन है, लेकिन क्या आपने कभी सुना कि कोई विमान उम्र की वजह से बैन हुआ हो?
ये हादसा हमें बताता है कि अगर जान की कीमत नहीं समझी गई, तो हादसे दोहराए जाते रहेंगे। आज जरूरत है ज़िम्मेदार एविएशन नीति, पारदर्शिता और टेक्नोलॉजी की ईमानदारी की।